• Skip to primary navigation
  • Skip to main content
  • Skip to footer

Hindustan Trend

Best Site For Learn Hindi Grammar

  • Home
  • Hindi Grammar
  • Hindi Essay
  • English Essay

वचन किसे कहते हैं। परिभाषा, भेद एवं उदाहरण – Vachan in Hindi Grammar

Written by Admin

परिभाषा (Definition) – वचन संज्ञा पदों का वह लक्षण है जो एक या अधिक का बोध कराता है। जिसके द्वारा किसी संज्ञा के एक या अनेक होने के, उनकी संख्या का बोध हो, उसे वचन (Vachan) कहते हैं।

वचन के प्रकार (Vachan Ke Kitne Bhed Hote Hain) –

हिन्दी में वचन दो प्रकार के होते हैं –

1 . एकवचन

2 . बहुवचन

1 . एकवचन –

विकारी शब्द के जिस रूप से उसके एक होने का बोध होता है, उसे एकवचन वाला शब्द कहेंगे। जैसे – गोविन्द, लड़का, घड़ी पुस्तक, मैं, काला, पढ़ता है।

हिन्दी में निम्न संज्ञा शब्द सदैव एकवचन में ही प्रयुक्त होते हैं, जैसे – आग, वर्षा, जल, आकाश, घी, सत्य, सोना, चाँदी, मिठास, प्रेम, सुन्दरता, बचपन, प्रत्येक, भीड़

विशेष –

(i) व्यक्तिवाचक संज्ञा, भाववाचक संज्ञा तथा द्रव्यवाचक संज्ञा शब्द सदैव एकवचन में ही प्रयुक्त होते हैं।

(ii) समूहवाची शब्द भी एकवचन में ही प्रयुक्त होते हैं – पुलिस, भीड़, जनता।

2 . बहुवचन –

संज्ञा शब्द के जिस रूप से उसके दो या दो से अधिक होने का बोध होता है, उसे शब्द का बहुवचन रूप कहा जाता है। जैसे – लड़के, घड़ियाँ, पुस्तकें, हम, काले, पढ़ते हैं।

हिन्दी में निम्न शब्द सदैव बहुवचन ही होते हैं, अतः वाक्य में उनका प्रयोग बहुवचन में ही होता है। जैसे – आँसू, होश, दर्शन, हस्ताक्षर, प्राण, भाग्य, समाचार, लोग, हाल-चाल, नियम

एकवचन शब्दों का बहुवचन रूप में प्रयोग

विशेष –

(i) आदर और सम्मान के लिए – आदरणीय व्यक्ति हेतु प्रयुक्त ‘आप’ शब्द तथा किसी संज्ञा शब्द के साथ जी, साहब, महोदय, प्रयुक्त होने पर वह संज्ञा बहुवचन की तरह प्रयुक्त होती है। जैसे –

आप कब आये? पिताजी आज आ रहे हैं। गाँधीजी देश के लिए कई बार जेल गये। मन्त्री महोदय आज जोधपुर आ रहे हैं।

(ii) अहंकार प्रकट करने के लिए – मैं, मेरा, मुझे, मैंने के स्थान पर हमारा, हमें, हम, हमने का प्रयोग।

लड़का बोला, हमने कच्ची गोलियाँ नहीं खाई हैं।

यह हमारा शहर है, मैंने कहा।

(iii) अभिमान प्रकट करने के लिए – ‘हम देश के लिए प्राण दे देंगे।’ सैनिक बोला

(iv) लोकव्यवहार के लिए – तू के स्थान पर ‘तुम’, भगवान हेतु ‘तू’

(v) विशेष शब्द – दर्शन, हस्ताक्षर, समाचार, प्राण, बाल,

(vi) समुदायवाचक शब्द – अध्यापकगण, अधिकारी वर्ग

पहचान – प्रायः संज्ञा, सर्वनाम और विशेषण शब्द के वचन की पहचान उसके रूप से हो जाती है किन्तु कई बार उसके वचन की पहचान वाक्य में प्रयुक्त क्रिया के आधार पर होती है। जैसे –

हाथी आ रहा है। (एकवचन)

हाथी आ रहे हैं। (बहुवचन)

सिपाही घर जा रहा है। (एकवचन)

सिपाही घर जा रहे हैं। (बहुवचन)

लड़के ने आम खाया। (एकवचन)

लड़के आम खा रहे हैं। (बहुवचन)

वचन बदलने के नियम (Vachan Badalne Ke Niyam)

हिन्दी में संज्ञा शब्द कभी विभक्तिरहित प्रयुक्त होते हैं तो कभी विभक्ति सहित। फलतः उनके बहुवचन रूपों में परिवर्तन देखा जाता है, जैसे – लड़के जा रहे हैं। लड़कों ने जाने का कार्यक्रम बनाया है।

अतः वचन बंदलने के नियमों का दो रूपों में अध्ययन करना होगा –

1 . विभक्ति रहित बहुवचन बनाने के लिए

2 . विभक्ति सहित बहुवचन बनाने के नियम

1 . विभक्ति रहित संज्ञाओं के बहुवचन बनाने के नियम –

(अ) आकारान्त पुल्लिंग संज्ञाओं के अन्तिम ‘आ’ के स्थान पर ‘ए’ करके –

लड़का-लड़के

पंखा-पंखे

रास्ता-रास्ते

भाला-भाले

बच्चा-बच्चे

अपवाद – निम्न शब्दों में उक्त नियम लागू नहीं होता है, जैसे –

(i) सम्बन्ध सूचक शब्दों में – चाचा, मामा, पापा, नाना, काका

(ii) पदसूचक शब्दों में – दारोगा, पंडा, ओझा

(iii) निम्न आकारान्त तत्सम शब्दों में भी यह नियम लागू नहीं होता है – कर्ता, अभिनेता, देवता, पिता, भ्राता, माता, राजा, युवा, योद्धा [राजा; नेता के साथ परसर्ग लगाने पर बहुवचन रूप बदल जाते हैं-राजाओं, नेताओं]

(आ) निम्न अकारान्त, इकारान्त, ईकारान्त, उकारान्त और ऊकारान्त पुल्लिंग शब्दों के दोनों वचनों के रूप समान रहते हैं –

बालक, मकान, कवि, मुनि, योगी, साधु

(इ) अकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञाओं के अन्त में ‘आ’ के स्थान पर ‘ऐं’ करके-

रात-रातें

सड़क-सड़कें

गाय-गायें

भैंस-भैंसें

किताब-किताबें

नहर-नहरें

आँख-आँखें

बात-बातें

बहन-बहनें

मूंछ-मूंछे

कमीज-कमीजें

दीवार-दीवारें

(ई) इकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञाओं के अन्त में ‘याँ’ जोड़कर –

तिथि-तिथियाँ

समिति-समितियाँ

पंक्ति-पंक्तियाँ

निधि-निधियाँ

लिपि-लिपियाँ

नीति-नीतियाँ

संधि-संधियाँ

गति-गतियाँ

(उ) ईकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञाओं के अन्त में ‘ई’ के स्थान पर ‘इयाँ’ लगाकर –

रोटी-रोटियाँ

लड़की-लड़कियाँ

दवाई-दवाइयाँ

घोड़ी-घोड़ियाँ

नदी-नदियाँ

टोपी-टोपियाँ

मछली-मछलियाँ

स्त्री-स्त्रियाँ

(ऊ) ‘या’ से अन्त होने वाली स्त्रीलिंग संज्ञाओं के अन्त में ‘या’ के स्थान पर ‘याँ’ लगाकर –

बुढ़िया-बुढ़ियाँ

गुड़िया-गुड़ियाँ

चिड़िया-चिड़ियाँ

कुटिया-कुटियाँ

डिबिया-डिबियाँ

(ए) आकारान्त, उकारान्त, ऊकारान्त, औकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञाओं के अन्त में ‘एँ’ जोड़कर –

कथा-कथाएँ

माता-माताएँ

लता-लताएँ

आत्मा-आत्माएँ

कविता-कविताएँ

माला-मालाएँ

वस्तु-वस्तुएँ

धेनु-धेनुएँ

धातु-धातुएँ

वधू-वधुएँ

ऋतु-ऋतुएँ

विशेष – ऊकारान्त शब्दों की ‘ऊ’ की मात्रा भी ‘उ’ की हो गौ-गौएँ जाती है।

2 . विभक्ति सहित संज्ञाओं के बहुवचन के नियम –

(अ) अकारान्त तथा आकारान्त विभक्ति सहित संज्ञाओं के ‘अ’ तथा ‘आ’ के स्थान पर ओं’ लगाकर –

घर-घरों

बन्दर-बन्दरों

लड़का-लड़कों

मूर्ख-मूर्खों

घोडा-घोडों

बूढ़ा-बूढ़ों

राजा-राजाओं

लता-लताओं

माता-माताओं

योद्धा-योद्धाओं

(आ) उकारान्त तथा ऊकारांत शब्दों के अन्त में ‘ओं’ लगाकर, ऐसी स्थिति में ‘ऊ’ का’उ’ हो जाता है –

गुरु-गुरुओं

साधु-साधुओं

भालू-भालुओं

चाकू-चाकुओं

डॉकू-डाकुओं

वधू-वधुओं

हिन्दू-हिन्दुओं

(इ) इकारान्त तथा ईकारान्त वाले शब्दों के अन्त में ‘यों’ लगाकर, ऐसी स्थिति में ‘ई’ की मात्रा ‘इ’ हो जाती है –

रात्रि-रात्रियों

मुनि-मुनियों

व्यक्ति-व्यक्तियों

गाड़ी-गाड़ियों

नदी-नदियों

लड़की-लड़कियों

(ई) सम्बोधक कारक के रूप में अकारान्त, आकारान्त, उकारान्त शब्दों में अ’,’आ’ के स्थान पर ‘ओ हो जाता है –

बालक-बालको!

छात्र-छात्रो!

बच्चा-बच्चो!

(उ) सम्बोधन कारक के रूप में इकारान्त या ईकारान्त शब्दों के अन्त में ‘यो’ लग जाता है तथा ‘ई’ की मात्रा ‘इ’ हो जाती है –

पति-पतियो!

मुनि-मुनियो!

पत्नी-पत्नियो!

लड़की-लड़कियो!

भाई-भाइयो!

(ऊ) सम्बोधन कारक के रूप में उकारान्त, ऊकारान्त शब्दों के अन्त में ‘यो लग जाता है तथा ‘ऊ’ की मात्रा ‘उ’ हो जाती है –

साधु-साधुओ!

वधू-वधुओ!

विशेष –

1 . कुछ शब्दों के साथ जन, गण, वृंद, वर्ग, हर लगाकर बहुवचन बनाया जाता है, जैसे –

जन – मुनिजन, साधुजन, गुरुजन, प्रजाजन, भक्तजन

गण – कविगण, शिक्षकगण, मंत्रिगण

वृंद – छात्रवृन्द, लेखकवृन्द

वर्ग – संन्यासिवर्ग, युवावर्ग, मंत्रिवर्ग

हर – खेतिहर

मण्डल/परिषद् – मंत्रिमण्डल, मंत्रिपरिषद्

2 . जिन शब्दों के अन्त में सेना, दल, जाति प्रयुक्त होते हैं उनका प्रयोग सदा एक वचन में ही होता है –

शत्रु सेना ने आत्मसमर्पण कर दिया।

पर्वतारोहियों का दल आज आगे नहीं बढ़ सका।

3 . शब्द-युग्मों का बहुवचन बनाने के लिए केवल अंतिम शब्द में ही परिवर्तन होता है, जैसे –

ओलावृष्टि में बहुत भेड़-बकरियाँ मर गईं।

बच्चे गाय-भैंसें लेकर चराने जा रहे हैं।

4 . परसर्ग (विभक्ति) से युक्त शब्दों के बहुवचन रूप –

(i) आकारांत पुल्लिंग शब्द परसर्ग रहित होने पर बहुवचन में एकारांत हो जाते हैं – घोड़ा दौड़ रहा है, घोड़े दौड़ रहे हैं।

(ii) आकारांत पुल्लिंग शब्द परसर्ग सहित होने पर एकवचन एकारांत किन्तु बहुवचन में ओकारांत हो जाते हैं; जैस – घोड़ा चना खा रहा है, घोड़े ने चना खाया, घोड़ों ने चना खाया।

(iii) कुछ अकारांत शब्दों में चाहे वे किसी लिंग के हो उनके साथ परसर्ग होने पर बहुवचन में ‘ओं’ लगता है – घर-घरों (में), बात-बातों (में)

(iv) कुछ आकारान्त या उकारान्त शब्दों में चाहे वे किसी लिंग के हो साथ में परसर्ग विभक्ति होने पर बहुवचन में ‘ओं’ लगता है – राजा-राजाओं (ने, को, से), साधु-साधुओं (ने, को, से), लता-लताओं (का),पशु-पशुओं (के लिए), किन्तु ईकारान्त शब्दों में यों लगता है – आदमी-आदमियों (ने), नदी-नदियों (में)

हिंदी व्याकरण – Hindi Grammar

  • व्याकरण | भाषा | वर्ण : स्वर & व्यंजन | शब्द | संधि | समास | उपसर्ग | प्रत्यय | संज्ञा | सर्वनाम | विशेषण | क्रिया | अव्यय | कारक | लिंग | वचन।

Filed Under: Hindi Grammar

Footer

About Us

HindustanTrend.Com एक एजुकेशनल वेबसाइट हैं जिस पर आप हिंदी व्याकरण एवं हिंदी और अंग्रेजी निबंध पढ़ सकते हैं।

आप इसी तरह हमसे जुड़े रहिये हम आपके लिए इस वेबसाइट पर हमेशा ज्ञानवर्धक जानकारियाँ शेयर करते रहेंगे।

धन्यवाद!

Important Pages

  • About Us
  • Contact Us
  • Disclaimer
  • Privacy Policy

Recent Posts

  • पल्लवन (Pallawan in Hindi Grammar)
  • A Village Fair Essay in English Language
  • हिंदी लोकोक्तियाँ – Lokoktiyan in Hindi Grammar
  • Vakyansh Ke Liye Ek Shabd in Hindi Grammar

Copyright © 2022